आँसुओं को न बाहर निकलने दिया|
वेदना को ह्रदय बीच पलने दिया ||
मौसमों के चुभे तीर पत्थर सहे,
चित्त परमार्थ तरुभांति फलने दिया|
स्नेह सरिता प्रवाहित रहे इसलिए,
बर्फ की भांति उर नित्य गलने दिया|
कीच के बीच से कल निकाला जिसे,
सत्य पथ पर उसी ने न चलने दिया|
इन दृगों में जलन आग जैसी 'तुका',
पर इन्हें दीप-सा नित्य जलने दिया
वेदना को ह्रदय बीच पलने दिया ||
मौसमों के चुभे तीर पत्थर सहे,
चित्त परमार्थ तरुभांति फलने दिया|
स्नेह सरिता प्रवाहित रहे इसलिए,
बर्फ की भांति उर नित्य गलने दिया|
कीच के बीच से कल निकाला जिसे,
सत्य पथ पर उसी ने न चलने दिया|
इन दृगों में जलन आग जैसी 'तुका',
पर इन्हें दीप-सा नित्य जलने दिया
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