पड़ा मुखों पर क्यों ताला?
गली-गली में दहक रही है अनय जलाने को ज्वाला|
आयातित भौतिक वैभव का पड़ा मुखों पर क्यों ताला?
लगता है अब सज्जन हारे,नायक ने हैं हाथ पसारे,
ज्ञानदानियों ने शिक्षा के,बंद कर दिये हैं सब द्वारे |
जनप्रतिनिधि दलप्रतिनिधि बनके लगे बदलने हैं पाला|
आयातित भौतिक वैभव का पड़ा मुखों पर क्यों ताला?
त्यागो कभी न नैतिक दावा,आज समय है बोलो धावा,
किसको पता कि कब आ जाये,बिना बताये वक्त बुलावा|
मिलकर शीघ्र हटाना ही है,लगा कलंकित धब्बा काला|
आयातित भौतिक वैभव का पड़ा मुखों पर क्यों ताला?|
डरने वाले तो डरते हैं,पर करने वाले करते हैं,
नदियों को अविरल नीर मिले,पर्वत से झरने झरते हैं|
जयघोष लगाती विजय खड़ी,लायी है जयवंती माला||
आयातित भौतिक वैभव का पड़ा मुखों पर क्यों ताला?
गली-गली में दहक रही है अनय जलाने को ज्वाला|
आयातित भौतिक वैभव का पड़ा मुखों पर क्यों ताला?
लगता है अब सज्जन हारे,नायक ने हैं हाथ पसारे,
ज्ञानदानियों ने शिक्षा के,बंद कर दिये हैं सब द्वारे |
जनप्रतिनिधि दलप्रतिनिधि बनके लगे बदलने हैं पाला|
आयातित भौतिक वैभव का पड़ा मुखों पर क्यों ताला?
त्यागो कभी न नैतिक दावा,आज समय है बोलो धावा,
किसको पता कि कब आ जाये,बिना बताये वक्त बुलावा|
मिलकर शीघ्र हटाना ही है,लगा कलंकित धब्बा काला|
आयातित भौतिक वैभव का पड़ा मुखों पर क्यों ताला?|
डरने वाले तो डरते हैं,पर करने वाले करते हैं,
नदियों को अविरल नीर मिले,पर्वत से झरने झरते हैं|
जयघोष लगाती विजय खड़ी,लायी है जयवंती माला||
आयातित भौतिक वैभव का पड़ा मुखों पर क्यों ताला?
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