पहले मानव मूल्य समझिये,फिर कविता लिखिये,
सत्य-झूठ में फर्क परखिये,फिर कविता लिखिये|
रूढ़ि प्रथा हो या कि कथा हो, इसके पालन के,
अपने आग्रह आप बदलिये,फिर कविता लिखिये|
शब्द साधना एक तपस्या, शोधन करने को ,
भाव सिंधु के बीच उतरिये,फिर कविता लिखिये|
इस धरती पर झेल रहे जो, पग-पग नित विपदा ,
उनकी पीड़ा देख तड़पिये, फिर कविता लिखिये|
सत्ता- शासन रूपी तरु के, मधु फल खाने को,
बानर जैसा नहीं लपकिये,फिर कविता लिखिये|
तुकाराम का कथन यही है,जन-मन के हित में,
पावन मेह समान बरसिये,फिर कविता लिखिये|
सत्य-झूठ में फर्क परखिये,फिर कविता लिखिये|
रूढ़ि प्रथा हो या कि कथा हो, इसके पालन के,
अपने आग्रह आप बदलिये,फिर कविता लिखिये|
शब्द साधना एक तपस्या, शोधन करने को ,
भाव सिंधु के बीच उतरिये,फिर कविता लिखिये|
इस धरती पर झेल रहे जो, पग-पग नित विपदा ,
उनकी पीड़ा देख तड़पिये, फिर कविता लिखिये|
सत्ता- शासन रूपी तरु के, मधु फल खाने को,
बानर जैसा नहीं लपकिये,फिर कविता लिखिये|
तुकाराम का कथन यही है,जन-मन के हित में,
पावन मेह समान बरसिये,फिर कविता लिखिये|
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