Sunday, January 20, 2013

प्यारे! हरे-भरे भारत में,कितना गरल घोल डाला?
अब तो किसी अनाथ सुता को,शरण नहीं देती खाला|

वोट जुटाने के दीवाने,रंग-विरंगे ध्वज ताने,
गलियों-गलियों गाते घूमें,उकसाने वाले गाने|
थानेदार भयाभय रहता,पड़े न नेता से पाला |
प्यारे! हरे-भरे भारत में,कितना गरल घोल डाला?

उन्हें फिक्र क्या तेरी-मेरी जो करते हेरा-फेरी,
राजनीती हो गई विषैले,छलियों बलियों की चेरी|
जिधर देखिये उधर जल रही,द्वेष-घृणा वाहक ज्वाला|
प्यारे! हरे-भरे भारत में,कितना गरल घोल डाला?

यही हमारी यही तुम्हारी,पीड़ा एक बड़ी भारी|
झेली नहीं किसी से जाती,मार मजहबी सरकारी||
वक्त यही कहता मत डालो,निज विवेक ऊपर ताला|
प्यारे! हरे-भरे भारत में,कितना गरल घोल डाला?

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