जय-जयकार सदा सबलों की,निबलों का अपमान|
हमारा भारतवर्ष महान|
हमारा भारतवर्ष महान||
श्रमिक वर्ग का दुष्कर जीना,गरल द्वेष का पड़ता पीना,
शक्तिशालियों हेतु सुलभ है,पेय विदेशी मुर्ग हसीना |
चकाचौंध में रिश्ते -नाते, हो जाते अनजान|
हमारा भारतवर्ष महान|
हमारा भारतवर्ष महान||
भवन, गगन से टक्कर लेते,कचरा फेक सिरों पर देते,
कहा जा रहा भव्य सदन में,पढ़े -लिखे रहते सब चेते |
धनपशु यहाँ प्रमाण बाँटता,कौन गुणी विद्वान?
हमारा भारतवर्ष महान|
हमारा भारतवर्ष महान||
कितनों के हैं तन-मन सूखे,ह्रदय विहीन करोड़ों रूखे,
घूम रहे सड़कों पर लाखों,बेघर नंगे प्यासे -भूखे |
आज़ादी की अर्ध सदी में,यही हुआ उत्थान|
हमारा भारतवर्ष महान|
हमारा भारतवर्ष महान||
No comments:
Post a Comment