Friday, September 16, 2011

          सामयिक एक गीत
अगर राष्ट्र -जीवन में फैला, भ्रस्टाचार मिटाना है |
तो चारित्रिक शुचि शैली को,हमें स्वतःअपनाना है||

न्यायहीन व्यवहार अनैतिक,वातावरण बनाता है |
धर्मतंत्र का आश्रय लेकर  ,चिंतन सुप्त कराता है ||
रूढ़िवाद के कारागृह से, बंदी बाहर लाना है ...

अर्थ लालची सदाचार के,पथ पर शूल बिछाते हैं|
स्वार्थसिद्धि की विषम भित्तियाँ,चारों ओर बनाते हैं|
प्रगति विरोधी गद्दारों का, विफल प्रयत्न कराना है...

लोकतंत्र में राजतन्त्र की, नियमावली छोड़नी है |
शोषण की जंजीर शीघ्र ही,मिलकर चलो तोड़नी है||
हारे थके दबे कुचलों में, साहस शक्ति जगाना है |
अगर राष्ट्र -जीवन में फैला, भ्रस्टाचार मिटाना है |
तो चारित्रिक शुचि शैली को,हमें स्वतःअपनाना है||

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