Wednesday, September 28, 2011

परिवर्तन अनिवार्य है,कहती है अनुरक्ति |
लोकतंत्र में वोट की , अपराजित है शक्ति||
अपराजित है शक्ति , इसी से बदले सत्ता,
जब तक चले न वायु, नहीं हिलता है पत्ता;
नागरिकों को दान , करें वैचारिक दर्शन |
राष्ट्र प्रगति के हेतु, तभी संभव परिवर्तन||

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