Monday, July 9, 2012

हमसे बात करो पर प्यारे!, इन्सानों की बात करो|
जिन यत्नों से प्यार बढ़े,उन अभियानों की बात करो||

धन पशुओं के साथ कभी हम खड़े नहीं हो सकते हैं|
जाग्रत रहते हैं कबीर-सा, कभी नहीं सो सकते हैं||
श्रमिक गंध से भरे हुए शुचि, परिधानों की बात करो|
जिन यत्नों से प्यार बढ़े,उन अभियानों की बात करो||

मानवता का जहाँ वास है, जहाँ सभी अपने लगते|
जहाँ परार्थ प्रेम पसरा है, जहाँ न जन जन को ठगते||
रक्त दान देने वाले प्रिय, दीवानों की बात करो|
जिन यत्नों से प्यार बढ़े,उन अभियानों की बात करो||

जिन्हें राष्ट्र के कण-कण में बस अपना घर दिखता है|
जिनका निष्पृह चिंतन सुन्दर शिवम सत्य लिखता है||
भेद भाव से विलग न्यायप्रिय गुणवानों की बात करो|
जिन यत्नों से प्यार बढ़े,उन अभियानों की बात करो||

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