Monday, July 23, 2012

मित्रो! जीवन के अनुभव को,लिख-लिख कर गाया|
पुरस्कार में आप सभी का, सरस प्यार पाया ||

लिखते-लिखते वर्ष छियालिस,बीत गये अबतो,
कवि हूँ कविता हेतु जी रहा, जान गये सब तो|
शब्द साधना करते-करते,सुख-दुख अपनाया|
पुरस्कार में आप सभी का, सरस प्यार पाया ||

पैंसठ वर्ष गुजार दिये हैं,बिना किसी भय के,
व्यक्त किये हैं भाव चेतना, संयुत निर्णय के |
मंथन का नवनीत जगत के,सम्मुख पहुँचाया|
पुरस्कार में आप सभी का, सरस प्यार पाया ||

चौथेपन की दुआ यही है, तरुवर -सा फलना,
सरि-सा अविरल बहते रहना,पवन भाँति चलना|
शिव सुन्दर सच के पथ पर ही,नित चलता आया|
पुरस्कार में आप सभी का, सरस प्यार पाया ||

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