Saturday, July 14, 2012

नयी रौशनी मित्र गाँवों शहर में|
प्रगती देखनी मित्र गाँवों शहर में||

बजह कौन-सी है पता कुछ करें क्यों,
गयी शेरनी मित्र गाँवों शहर में|

न खुद से किसी ने पूछा किसे अब,
ठगी सीखनी मित्र गाँवों शहर में|

नये दौर में भी उपेक्षित रही क्यों,
यहाँ भीलनी मित्र गाँवों शहर में|

सभी भोग जिसका करें स्नेह से वो,
फसल रोपनी मित्र गाँवों शहर में|

कहो कौन-सा आज तूफ़ान आया,
थमी लेखनी मित्र गाँवों शहर में|

पढ़ाई 'तुका' जा रही आज भी क्यों,
घृणित जीवनी मित्र गाँवों शहर में?

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