Sunday, July 15, 2012

सिर्फ उपदेश हैं स्वार्थ व्यापार हैं|
धर्म के नाम पर क्रूर व्यवहार हैं||

पाप से दूर हम पापियों के सभी,
पाप को मेटने में मददगार हैं |

नफरतों से भरे अर्थ के दौर में,
खोलते जा रहे प्यार के द्वार हैं|

मत डराओ प्रिये!अब किसी खौफ़ से,
मौत के हेतु हर वक्त तैयार हैं|

कौन आतंकियों का करे सामना,
धर्म के तंत्र से राज्य लाचार हैं|

आधुनिक ज़िन्दगी की चकाचौंध में,
टूटते जा रहे गेह परिवार हैं |

आज भी देखिये तो 'तुका' के बने,
एक दो शत्रु पर मित्र दो चार हैं |

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