Saturday, July 21, 2012

अब तो उनकी पीर समझनी होगी|
भारत की तस्वीर समझनी होगी||
क्यों गर्मी के बाद बरसते घन हैं,
पानी की तासीर समझनी होगी |
भोजन नीर अभाव वहाँ क्यों पसरा,
यहाँ फिक रही खीर समझनी होगी|
पहनाई जो गई पगों में वो तो ,
दस्तूरी जंजीर समझनी होगी ||
लोकतंत्र की खुली हवा में भी वो,
धारे क्यों है  धीर समझनी होगी|
विज्ञापन से जो सत्ता चलवाती,
वो शातिर तदवीर समझनी होगी|
जिस पर सबको गर्व 'तुका'सदियों से,
वो किसकी तहरीर समझनी होगी?

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