इधर से उधर से उठाकर लिखा हँ|
समझिये न चोरी बताकर लिखा है||
नयी रौशनी की नयी गीतिका को,
नियम ज़िन्दगी के निभाकर लिखा है|
सभी को हँसाना जिन्हें है सुहाया,
उन्होंने हंसी को छिपाकर लिखा है|
मुहब्बत किसी को कहाँ चैन देती,
महबूब का दिल दुखाकर लिखा है|
तुकाराम जैसा मिला नाम जिनको,
उन्होंने स्वयं को रुलाकर लिखा है|
समझिये न चोरी बताकर लिखा है||
नयी रौशनी की नयी गीतिका को,
नियम ज़िन्दगी के निभाकर लिखा है|
सभी को हँसाना जिन्हें है सुहाया,
उन्होंने हंसी को छिपाकर लिखा है|
मुहब्बत किसी को कहाँ चैन देती,
महबूब का दिल दुखाकर लिखा है|
तुकाराम जैसा मिला नाम जिनको,
उन्होंने स्वयं को रुलाकर लिखा है|
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