Wednesday, July 25, 2012

एक नहीं हो सकता प्यारे धर्मों का छाता|
क्योंकि इनका इंसानों से नहीं रहा नाता||

इनका जो वितान है उसके नीचे हिन्दू मुस्लिम हैं,
बौद्ध बहाई सिक्ख जैन ईसाई मुजरिम हैं |
सबका खुला हुआ सदियों से अलग-अलग खाता|
क्योंकि इनका इंसानों से, नहीं रहा नाता||

इनको दौलत ठगी बदौलत छलिया सत्ता प्यारी है,
अपने और परायेपन की इन्हें लगी बीमारी है |
इनको भाग्य भरोसे सब कुछ देता है दाता|
क्योंकि इनका इंसानों से, नहीं रहा नाता||

तर्क बुद्धि की बात कभी भी,इनको नहीं सुहाती हैं,
पकी पकाई फस्ल कृषक की,इनके घर आ जाती है|
फूटी आँख न इन्हें सुहाता,साखी का ज्ञाता|
क्योंकि इनका इंसानों से, नहीं रहा नाता||

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