क्यों बढ़ता सम्मान है,क्यों घटता है मान|
विदित जिसे यह हो गया,वह इंसान महान?
किये गये अपराध का, सदा भोगिये दंड |
मिले दया से जो क्षमा,वह है सजा प्रचंड ||
भय विहीन कर लीजिये,पहले अपने प्राण|
फिर सोचो किस योग से,होगा जन कल्याण||
कविता का उद्देश्य हो,जन-मन का उत्थान|
मंगलकारी बन सके,भू पर हर इंसान ||
धरती पर्वत घाटियाँ,वन पठार मैदान |
अति दोहन से खो रहे,नैसर्गिक पहचान||
No comments:
Post a Comment