अस्सी वर्षों के गालों पर युवकों-सी लाली,
लेकिन कई करोड़ों बच्चों की खाली थाली|
यही है जुम्मेदारी,मलाई बारी-बारी||
शिक्षालय में ताले लटके,अस्पताल में रोगी भटके,
सरकारी दफ्तर में जनता,बिजली जैसे खाती झटके|
काले धन ने कर डाली है, सत्ता भी काली|
यही है जुम्मेदारी,मलाई बारी-बारी||
भाषण जितने प्यारे-प्यारे,प्रतिफल उतने खारे-खारे,
मतदाता मत देकर सिसकें,कहें न कुछ उलझन के मारे,
सूख रही है लोकतंत्र के,तरुवर की डाली|
यही है जुम्मेदारी,मलाई बारी-बारी||
क्रूर व्यवस्था मानो सोती,गाँव गरीब किसानी रोती,
जो न उठाने से उठता है,उस बोझे को महिला ढोती,
जनप्रतिनिधि दल प्रतिनिधियों-सी,करते रखवाली|
यही है जुम्मेदारी,मलाई बारी-बारी||
लेकिन कई करोड़ों बच्चों की खाली थाली|
यही है जुम्मेदारी,मलाई बारी-बारी||
शिक्षालय में ताले लटके,अस्पताल में रोगी भटके,
सरकारी दफ्तर में जनता,बिजली जैसे खाती झटके|
काले धन ने कर डाली है, सत्ता भी काली|
यही है जुम्मेदारी,मलाई बारी-बारी||
भाषण जितने प्यारे-प्यारे,प्रतिफल उतने खारे-खारे,
मतदाता मत देकर सिसकें,कहें न कुछ उलझन के मारे,
सूख रही है लोकतंत्र के,तरुवर की डाली|
यही है जुम्मेदारी,मलाई बारी-बारी||
क्रूर व्यवस्था मानो सोती,गाँव गरीब किसानी रोती,
जो न उठाने से उठता है,उस बोझे को महिला ढोती,
जनप्रतिनिधि दल प्रतिनिधियों-सी,करते रखवाली|
यही है जुम्मेदारी,मलाई बारी-बारी||
No comments:
Post a Comment