Tuesday, May 8, 2012

बचपन चला गया दे करके,कोमल रँग हज़ार|
हमारा गीत आपका प्यार|
हमारा गीत आपका प्यार||

सुमनों जैसा रहा महकता,गगन परिन्दों भाँति चहकता|
चाहा जहाँ वहाँ पर घूमा, अंगारों -सा रहा दहकता||
युवा अवस्था ने सर्जन की,दे दी शक्ति अपार |
हमारा गीत आपका प्यार|
हमारा गीत आपका प्यार||

सदा सराहा लिखना -पढ़ना,स्वप्नों के शिखरों पर चढ़ना|
बहुत भला लगता था हमको,किस्से छंद कहानी गढ़ना||
जीवन की दोपहर दे ग़यी, अनुभव भरे विचार|
हमारा गीत आपका प्यार|
हमारा गीत आपका प्यार||

ढलती आयु पड़ी विस्मय में,क्यों है पत्ता-पत्ता भय में?
कैसे मुक्ति मिले मानव को,सकल व्यवस्था फँसी अनय में?
जीवन संध्या इन रोगों का ,खोज रही उपचार|
हमारा गीत आपका प्यार|
हमारा गीत आपका प्यार||

अच्छा है कहने से सुनना,मुक्त अर्थ कथनों के गुनना|
जिनसे युग का हित हो उनके,शिवम तत्व को सीखें चुनना|
संभव है सहकार स्नेह से,कुछ हो सके सुधार|
हमारा गीत आपका प्यार|
हमारा गीत आपका प्यार||

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