Saturday, May 19, 2012

चेतना जो सुप्त कर दे गीत वह कैसा ?
स्नेह स्वर से जो विलग संगीत वह कैसा?

जो प्रकृति की भावना को छोड़ दे,
जो ह्रदय को वासना से जोड़ दे ,
कौन उसके कथ्य को स्वीकार ले-
जो प्रगति की धार का रुख मोड़ दे|
स्वार्थ की दुर्गन्ध जिसमें दूर से आये,
प्यार का अभिनय करे जो मीत वह कैसा?
स्नेह स्वर से जो विलग संगीत वह कैसा?

जो अपरिचित जी रहा हो अक्ष्य से,
और भटका सर्वथा हो लक्ष्य से,
वह किसी को क्या शरण देगा भला-
माँगता आवास जो हो रक्ष्य से|
शक्ति के आगे स्वयं जो हाथ फैलाये-
शोषकों की नीति के विपरीत वह कैसा? 
स्नेह स्वर से जो विलग संगीत वह कैसा?

जो खड़ा हो साधकों के साथ में,
मोह का खंजर छिपा के हाथ में,
बात है यह सत्य उसको सर्वदा-
शूल ही अगणित मिलेंगे पाठ में|
जो कि सन्यासी अवस्था में पहुँच कर भी-
लालसा छोड़े न जो जगजीत वह कैसा? 
स्नेह स्वर से जो विलग संगीत वह कैसा?

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