Monday, May 14, 2012

कौन जानता नहीं यहाँ ये,चर्चे चर्चित हैं|
गाँव गरीब किसान न्याय से,अबतक वंचित हैं||

लोकतंत्र को बासठ वर्षों, तक देखा-परखा,
धीरे-धीरे लुप्त हो गया, बापू का चरखा |
सत्य अहिंसा शील दया ताप त्याग उपेक्षित हैं|
गाँव गरीब किसान न्याय से,अबतक वंचित हैं||

लागत से भी कम कीमत में,सकल उपज बिकती,
कभी-कभी तो बिना मोल ही,इधर-उधर फिकती|
सबलों के बाड़ों में कितने,निर्बल बंधित हैं|
गाँव गरीब किसान न्याय से,अबतक वंचित हैं||

शिक्षा स्वास्थ्य न्याय नारों का,केवल गर्जन है|
प्राणों की आहुति देने को, बेबश निर्धन है||
पर सत्तासीनों के खर्चे,बढ़े असीमित हैं|
गाँव गरीब किसान न्याय से,अबतक वंचित हैं||

बड़े-बड़ों की बातों में कुछ, दिखे न प्रभुतायी|
जन सेवा से जुड़े जनों को,ठग विद्द्या भायी||
उन्हें न मिलता मान राष्ट्रहित,जो कि समर्पित हैं|
गाँव गरीब किसान न्याय से,अबतक वंचित हैं||

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